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हमारे द्वारा किये जाने वाले पूजन
कालसर्प दोष एवं निवारण
शास्त्रों का अध्ययन करने पर हमने पाया राहू के अधिदेवता काल अर्थात यमराज है एवं प्रत्यधि देवता सर्प है, एवं जब कुंडली में बाकी के ग्रह राहु एवं केतु के मध्य आ जाते तो इस संयोग को ही कालसर्प योग कहते है।
ज्योतिष के आधार पर काल सर्प दो शब्दों से मिलकर बना है “काल एवं सर्प”। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार काल का अर्थ समय होता है एवं सर्प का अर्थ सांप इसे एक करके देखने पर जो अर्थ निकलकर सामने आता है वह है समय रूपी सांप। इस योग को ज्योतिषशास्त्र में अशुभ माना गया है। इस योग को अधिकांश ज्योतिषशास्त्री अत्यंत अशुभ मानते हैं परंतु इस योग के प्रति ज्योतिष के महान विद्वान पराशर एवं वराहमिहिर चुप्पी साधे हुए हैं।
आचार्य श्री एवम उनके सहयोगी विद्वत विप्रजन
पं अमृतेष त्रिवेदी
संस्थापक : श्री कालभैरव ज्योतिष केंद्र
शिक्षा : एम ए ज्योतिष
कालसर्प दोष मंगल दोष पितृ दोष निवारण विशेषज्ञ
आचार्य श्री पंडित अमृतेष त्रिवेदी जी द्वारा किया गया कर्मं विधान भगवान राजाधिराज महाकाल एवं कालभैरव की कृपा से यजमानो के लिए सदैव फलदाई एवं कल्याणकारी हुआ है
क्या उज्जैन में कालसर्प दोष का निवारण संभव है ?
जैसा की हमने ऊपर बताया है की उज्जैन को समस्त तीर्थो में तिल भर महत्त्व अधिक मिला है और यह स्वयं महाकाल की नगरी है, इसलिए यहाँ पर समस्त प्रकार के सर्प दोष एवं काल सर्प दोष का निवारण संभव है, अब एक प्रश्न ये आप पूछ सकते है की जब भगवान की कृपा से इस दोष का निवारण संभव है तो उस परम दयालु भगवान ने अपने ही द्वारा निर्मित मनुस्य की कुंडली में काल सर्प योग बनने ही क्यों दिया? इस प्रश्न का बहुत सहज उत्तर ये है की भगवान किसी की कुंडली में कोई योग या रोग नहीं डालते है, ये तो मनुस्य के कर्म है जिसके अनुसार उसकी कुंडली में रोग, योग, भोग, वियोग, संयोग या दोष बन जाते है, सबका आधार कर्म ही है, किन्तु जब मनुस्य अपने कर्मो के द्वारा रचित विधान से व्यथित होकर परम शक्ति की शरण ग्रहण करता है और विनती करता है की मेरी रक्षा करो तो परमेश्वर उसकी प्रार्थना पर विशेष ध्यान देकर उसके पापो अथवा कर्मो के द्वारा रचित फलों के दुष्प्रभाव को कम कर देते है, अर्थात सच्चे मन से की गयी पूजा एवं विनती से भगवान शिव ‘मेटत कठिन कुअंक भाल के’ .
अवंतिकापुरी उज्जैनी का अदभुत महात्म्य
जय श्री महाकाल
उज्जैन स्वर्ग है क्यौ है आइये जानते हैं?
उज्जैन मध्य प्रदेश
एक मात्र स्थान जहाँ शक्तिपीठ भी है, ज्योतिर्लिंग भी है, कुम्भ महापर्व का भी आयोजन किया जाता है।
यहाँ साढ़े तीन काल विराजमान है
“महाँकाल,कालभैरव, गढ़कालिका और अर्धकाल भैरव।”
यहाँ तीन गणेश विराजमान है।
“चिंतामन,मंछामन, इच्छामन”
यहाँ 84 महादेव है,यही सात सागर है।।
“ये भगवान कृष्ण की शिक्षा स्थली है।।”
ये मंगल ग्रह की उत्पत्ति का स्थान है।।
“यही वो स्थान है जिसने महाकवी कालिदास दिए।”
उज्जैन विश्व का एक मात्र स्थान है जहाँ अष्ट चरिंजवियो का मंदिर है,यह वह ८ देवता है जिन्हें अमरता का वरदान है (बाबा गुमानदेव हनुमान अष्ट चरिंजीवि मंदिर)
“राजा विक्रमादित्य ने इस धरा का मान बढ़ाया।।”
विश्व की एक मात्र उत्तर प्रवाह मान क्षिप्रा नदी!!
“इसके शमशान को भी तीर्थ का स्थान प्राप्त है चक्रतीर्थ।
यहां नौ नारायण और सात सागर है
भारत को सोने की चिड़िया का दर्जा यहां के राजा विक्रमादित्य ने ही दिया था इनके राज्य में सोने के सिक्के चलते थे सम्राट राजा विक्रमादित्य के नाम से ही विक्रम संवत का आरंभ हुआ जो हर साल चैत्र माह के प्रति प्रदा के दिन मनाया जाता है उज्जैन से ही ग्रह नक्षत्र की गणना होती है कर्क रेखा उज्जैन से होकर गुजरती है
और तो और पूरी दुनिया का केंद्र बिंदु (Central Point) है महाकाल जी का मंदिर
_महाभारत की एक कथानुसार उज्जैन स्वर्ग है।।
यदि आप भी कालों के काल महाकाल के भक्त हैं तो इस संदेश को सभी शिव भक्तों तक अवश्य पहुंचाए।
जय श्री महाकाल