नारायण नागबलि ये दोनो विधी मानव की अपूर्ण इच्छा , कामना पूर्ण करने के उद्देश से किये जाते है इसीलिए ये दोने विधी काम्यू कहलाते है। नारायणबलि एवं नागबपलि ये अलग-अलग विधीयां है। नारायण बलि का उद्देश मुखत: पितृदोष निवारण करना है । एवं नागबलि का उद्देश सर्प/साप/नाग हत्याह का दोष निवारण करना है। केवल नारायण बलि यां नागबलि कर नहीं सकतें, इसलिए ये दोनो विधीयां एक साथ ही सम्पान करनी पडती हैं।
पितृदोष निवारण के लिए नारायण नागबलि कर्म करने के लिये शास्त्रों मे निर्देशित किया गया है । प्राय: यह कर्म जातक के दुर्भाग्य संबधी दोषों से मुक्ति दिलाने के लिए किये जाते
है। ये कर्म किस प्रकार व कौन इन्हें कर सकता है, इसकी पूर्ण जानकारी होना अति आवश्यक है। यह पूजन विधान एक दिवसीय एवं तीन दिवसीय का होता हे यह विधान तीर्थ पुरोहितो द्वारा ही सम्पन होता है आचार्य पंडित अमृतेष त्रिवेदी पुश्तैनी परंपरागत पद्धति से रामघाट स्थित लाल मंदिर में सम्पन करते हे