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[vc_custom_heading text=”दोष निवारणार्थ अनुष्ठान” font_container=”tag:h1|font_size:32px|text_align:left|color:%23f15555|line_height:40px” use_theme_fonts=”yes” css=”%7B%22default%22%3A%7B%22color%22%3A%22%23f15555%22%2C%22font-size%22%3A%2232px%22%2C%22line-height%22%3A%2240px%22%7D%7D”][vc_custom_heading text=”कर्मकाण्ड या अनुष्ठान (ritual) से तात्पर्य ऐसे क्रमबद्ध कार्यों कार्यों से है जो विशेष स्थान पर, विशेष विधि से, विशेष शब्दों द्वारा किए जाते हैं। कर्मकाण्ड किसी समुदाय की परम्परा के अंग हो सकते हैं।” font_container=”tag:h3|font_size:32px|text_align:center|color:%23f15555|line_height:40px” use_theme_fonts=”yes” css=”%7B%22default%22%3A%7B%22color%22%3A%22%23f15555%22%2C%22font-size%22%3A%2232px%22%2C%22line-height%22%3A%2240px%22%7D%7D”]
[bsf-info-box icon_type=”custom” icon_img=”id^6021|url^https://kalsarpdoshujjain.com/wp-content/uploads/2019/04/33pooja.png|caption^null|alt^null|title^33pooja|description^null” img_width=”48″ icon_animation=”swing” title=”रूद्र – चंडी यज्ञ”]श्री रूद्रयामल तन्त्रोक्तं कालिका कवचम् का वर्णन रूद्रयामल तन्त्र में हैं ! श्री रूद्रयामल तन्त्रोक्तं कालिका कवचम् माँ काली देवी को समर्पित हैं ! श्री रूद्रयामल तन्त्रोक्तं कालिका कवचम् का नियमित रूप से पाठ करने से व्यक्ति के सारे दुशमनों से छुटकारा मिल जाता हैं !![/bsf-info-box]
[bsf-info-box icon_type=”custom” icon_img=”id^6021|url^https://kalsarpdoshujjain.com/wp-content/uploads/2019/04/33pooja.png|caption^null|alt^null|title^33pooja|description^null” img_width=”48″ icon_animation=”swing” title=”नारायण यज्ञ”]यज्ञ भगवान नारायण का साक्षात स्वरूप है। यज्ञ करने से मनोनुकूल फल की प्राप्ति होती। कर्म, अर्थ, काम, मोक्ष चारों ही पुरुषार्थो की प्राप्ति होती है। यह विचार ग्राम ग्राम धर्मपुर रत्ता में आयोजित श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ के दूसरे दिन यज्ञाचार्य नीरज शास्त्री ने व्यक्त किए।[/bsf-info-box]
[bsf-info-box icon_type=”custom” icon_img=”id^6021|url^https://kalsarpdoshujjain.com/wp-content/uploads/2019/04/33pooja.png|caption^null|alt^null|title^33pooja|description^null” img_width=”48″ icon_animation=”swing” title=”देव प्राण प्रतिष्ठा”]देवोपासना के लिए सनातन धर्म का एक सबल आधार मूर्ति पूजा है और इसका अंग होने के कारण मूर्ति प्रतिष्ठा भी उतना ही महत्वपूर्ण कार्य है। मूर्तियों में मंत्रों की शक्ति से जब प्राण प्रतिष्ठा होती है तो उनमें देवत्व का प्रवेश होता है जो विधिवत पूजा से फलदायी होती हैं।[/bsf-info-box]
[bsf-info-box icon_type=”custom” icon_img=”id^6021|url^https://kalsarpdoshujjain.com/wp-content/uploads/2019/04/33pooja.png|caption^null|alt^null|title^33pooja|description^null” img_width=”48″ icon_animation=”swing” title=”नवचण्डी यज्ञ”]नवचंडी पूजा  नवचंडी यज्ञ एक नव दुर्गा पूजा है। इस पूजा को स्वास्थ्य, धन, शक्ति, समृद्धि, सफलता और कई अन्य कारणों के लिए किया जाता है। नव चंडी यज्ञ सभी कष्टों को हटाता है|[/bsf-info-box]
[bsf-info-box icon_type=”custom” icon_img=”id^6021|url^https://kalsarpdoshujjain.com/wp-content/uploads/2019/04/33pooja.png|caption^null|alt^null|title^33pooja|description^null” img_width=”48″ icon_animation=”swing” title=”पितृ भागवत”]भागवत से हमें अपने कर्मो को सुधारने की शक्ति मिलती है। जैसे भागवत से हमें भोजन-भाजन और मरण को सुधारने की प्रेरणा मिलती है। उन्होंने कहा कि दुख में रोना नहीं और सुख में हंसना नहीं चाहिए, बल्कि सम्भाव में उसका मंथन करके उसमें से हमें हर परिस्थिति को सहन करने की शक्ति उपार्जना करनी चाहिए। मानव जीवन में कर्म और धर्म दोनों की जरूरत पड़ती है, धर्म साथ कर्म को जोड़े।[/bsf-info-box]
[bsf-info-box icon=”Defaults-phone” icon_size=”16″ el_class=”cs_icon-contactNo”]+919406816400[/bsf-info-box]
[vc_custom_heading text=”ईमेल के माध्यम से सम्पर्क” font_container=”tag:h1|font_size:32px|text_align:left|color:%23f15555|line_height:40px” use_theme_fonts=”yes” css=”%7B%22default%22%3A%7B%22color%22%3A%22%23f15555%22%2C%22font-size%22%3A%2232px%22%2C%22line-height%22%3A%2240px%22%7D%7D”]