हिंदू धर्म में शादी तय करने से पहले भावी वर और वधू की कुंडली का मिलान संगतता और दोष की अनुपस्थिति को सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है। वैदिक ज्योतिष में यदि मंगल (मंगल), शनि (शनि), राहु (ड्रैगन्स हेड) और केतु (ड्रेगन टेल) को भावी वर या वधू के वर-वधू के लिए अष्ट-वर के 7 वें घर में रखा जाता है। (दूल्हे के लिए) अर्क विवाह और कुंभ विवाह (दुल्हन के लिए) किया जाता है। अर्का-विवाह के दौरान भावी दूल्हे का प्रतीकात्मक रूप से मंदार के पेड़ से विवाह किया जाता है और कुंभ विवाह के दौरान भावी दुल्हन का प्रतीकात्मक रूप से मिट्टी के बर्तन से विवाह किया जाता है। निम्न पूजा से मंडार के पेड़ या मिट्टी के बर्तन द्वारा निकाली जाने वाली नकारात्मक दोष की ओर जाता है और कुंडली का उल्लेख करते हुए दोष को शांत करता है, जिससे बारी-बारी से स्थिर, लंबे और सुखी वैवाहिक जीवन की शुरुआत होती है।
पुरुषों के विवाह में आ रहे विलम्ब या अन्य दोषो को दूर करने के लिए किसी कन्या से विवाह से पूर्व उस पुरुष का विवाह सूर्य पुत्री जो की अर्क वृक्ष के रूप में विद्धमान है से करवा कर विवाह में आ रहे समस्त प्रकार के दोषो से मुक्ति प्राप्त की जा सकती है, इसी विवाह पद्द्ति को अर्क विवाह कहा जाता है।